डॉ रविकांत शुभम्

लेखक - 

डॉ रविकांत शुभम्

होम्योपैथी चिकित्सक

 चतरा (झारखंड)

अधिमास - पुरूषोत्तम मास - मलमास :- जाने कब - कब पड़ा सावन मलमास


      हर तीसरे वर्ष हिन्दी पंचांग के अनुसार कोई न कोई महिना अधिमास होता है। इस वर्ष 2023 शुभ विक्रम संवत् 2080 भी अधिमास है। 

            विक्रम संवत् 2080 ईस्वी सन् 2023 को श्रावण महीना अधिमास हो रहा है यानि श्रावण महीना दो महीने का होगा।यह महीना दिनांक 04/07/2023 से 31/08/2023 तक रहेगा।यह श्रावण अधिमास 59 दिनों का होगा।इस बार सावन में 08 सोमवार होंगे। 

       यह श्रावण अधिमास 19 वें वर्ष बाद हो रहा है।इसके पूर्व दिनांक 03/07/2004 को श्रावण अधिमास प्रारम्भ हुआ था जो दिनांक 30/08/2004 तक रहा था।ईस्वी सन् 2004 में भी श्रावण अधिमास 59 दिनों का था।

      सन् 2023के  बाद भी 19 वें वर्ष यानि ईस्वी सन् 2042 में भी श्रावण अधिमास होगा।दिनांक 04/07/2042 को श्रावण अधिमास प्रारम्भ होगा,जो दिनांक 31/08/2042 तक रहेगा यानि यह भी अधिमास 59 दिनों का ही होगा।

         स्पष्ट है कि हर 19 वें वर्ष पर श्रावण माह अधिमास होगा।


भारत की आजादी भी अधिमास में हुई है -  

आज हम भारतवासी भारतीय आजादी के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। भारत की आजादी के समय श्रावण मास में 15 अगस्त 1947 को हुई थी। उस समय भी श्रावण महिना अधिमास था। शुभ संवत् 2004 दिनांक 04 जुलाई 1947 से 31अगस्त 1947 तक श्रावण अधिमास था। यानि हमारा आजादी का दिन 15 अगस्त अधिमास में पड़ा है।‌उस समय भी अधिमास 59 दिनों का ही था।

         


शताब्दी पंचांग के अनुसार पूरे सौ साल 1947  से 2047 तक सावन कब कब अधिमास में रहा :- 

1. शुभ संवत् 2004 ईस्वी सन् 1947 दिनांक 4 जुलाई 1947 से 31 अगस्त 1947 तक।

2. शुभ संवत् 2023 ईस्वी सन् 1966 दिनांक 3 जुलाई 1966से 30 अगस्त 1966 तक।

3. शुभ संवू 2042 ईस्वी सन् 1985 दिनांक 03 जुलाई 1985 से 30 अगस्त 1985 तक।

4. शुभ संवत् 2080 ईस्वी सन् 2023 दिनांक 04 जुलाई 2023 से 30 अगस्त 2023 तक।

5. शुभ संवत् 2099 ईस्वी सन् 2042 दिनांक 04 जुलाई 2042 से 31 अगस्त 2042 तक।


पूरे सौ साल में पांच बार सावन अधिमास है। संयोग से सभी अधिमास सावन 59 दिनों का ही है।


अधिमास का महत्व:- यूं तो हमारे सनातन धर्म में प्रतिदिन कोई न कोई शुभ मुहूर्त, पुण्य तिथि, त्यौहार हैं। पर अधिमास का महत्व और भी बढ़ जाता है।इस माह स्वामी भगवान विष्णु होते हैं। इसलिए इसे पुरूषोत्तम मास भी कहते हैं।‌ पुरूषोत्तम मास में किए गए जप- तप, पूजा पाठ - हवन आदि का महत्व बहुत है। भगवान विष्णु के नामों, मंत्रों का जाप करना श्रेष्ठ रहता है। अधिमास में दान पुण्य का अपना महत्व है।‌नाम संकीर्तन से सारे कार्य सिद्ध होते हैं। 


निम्न मंत्र से भगवान विष्णु का रोज ध्यान करना चाहिए


शान्ताकारं भुजगशयनं 

                 पद्मनाभं सुरेशं।

विश्वाधारं गगनसदृशं

                मेघवर्ण शुभाङ्गम्।।

लक्ष्मीकांत कमलनयनं

           योगिभिर्ध्यानगम्यम्।।

वन्दे विष्णुं भवभयहरं

              सर्वलोकैकनाथम्।।


अर्थ -

शान्ताकारं – जिनकी आकृति अतिशय शांत है, वह जो धीर क्षीर गंभीर हैं,

भुजग-शयनं – जो शेषनाग की शैया पर शयन किए हुए हैं (विराजमान हैं),

पद्मनाभं – जिनकी नाभि में कमल है,

सुरेशं – जो ‍देवताओं के भी ईश्वर और

विश्वाधारं – जो संपूर्ण जगत के आधार हैं, संपूर्ण विश्व जिनकी रचना है,

गगन-सदृशं – जो आकाश के सदृश सर्वत्र व्याप्त हैं,

मेघवर्ण – नीलमेघ के समान जिनका वर्ण है,

शुभाङ्गम् – अतिशय सुंदर जिनके संपूर्ण अंग हैं, जो अति मनभावन एवं सुंदर है

लक्ष्मीकान्तं – ऐसे लक्ष्मी के कान्त ( लक्ष्मीपति )

कमल-नयनं – कमलनेत्र (जिनके नयन कमल के समान सुंदर हैं)

योगिभिर्ध्यानगम्यम् – (योगिभिर – ध्यान – गम्यम्) – जो योगियों द्वारा ध्यान करके प्राप्त किए जाते हैं, (योगी जिनको प्राप्त करने के लिया हमेशा ध्यानमग्न रहते हैं)

वन्दे विष्णुं – भगवान श्री विष्णु को मैं प्रणाम करता हूँ (ऐसे परमब्रम्ह श्री विष्णु को मेरा नमन है)

भवभय-हरं – जो जन्म-मरण रूप भय का नाश करने वाले हैं, जो सभी भय को नाश करने वाले हैं

सर्वलोकैक-नाथम् – जो संपूर्ण लोकों के स्वामी हैं, सभी चराचर जगत के ईश्वर है


अंत में 

सर्वे भवन्तु सुखिनः।

सर्वे संतु निरामया।‌।

सर्वे भद्राणि पश्यन्तु।

मा कश्चिद् दुःख भाग्भवेत्।।