सुरभि शुक्ला (इंदौर मध्यप्रदेश)

इको-फ्रेंडली गणेश जी 

सुनयना चल जल्दी चल बाज़ार (क्ले ) मिट्टी खरीदने मुझे गणेश जी बनाने हैं इस गणेश चतुर्थी पर मैं घर पर अपने हाथों से गणपति बप्पा बनाऊंगी, बाज़ार में तो बहुत महंगे हैं तू क्या कर रही हैं मैं काली मिट्टी लेने जा रही थी। तू भी क्ले से बना, नहीं उससे पर्यावरण को नुक़सान होता हैं पर काली मिट्टी को तैयार करने में कितना समय लगता हैं वो सब मैं कर लूंगी। आज कल इको-फ्रेंडली गणेश जी बनाने चाहिएं और घर में हम उनका विसर्जन कर सकते हैं। ये ले काली मिट्टी, अब तूझे कोई मेहनत भी करनी नहीं पड़ेगी और तेरे गणेश जी जल्दी बन जाएंगे पर हमारे ऐसा करने से हम पर्यावरण को कितना बचा पाएगे। जिस तरह बूंद बूंद से घड़ा भरता हैं उसी तरह हमारे और कुछ लोगों के प्रयासों से हम पर्यावरण को ज़रूर बचा पाएंगे और गणपति जी भी खुश होंगे। फिर मैं भी काली मिट्टी से ही बनाती हूं तो चलों फिर गणपति बप्पा बनातें हैं और घर पर बैठाते हैं, तो बोलो गणपति बप्पा की मोरिया ।