संध्या रानी

संध्या रानी (हिंदी अध्यापक)

हरियाणा । 

आधुनिक बालक  

विज्ञान की गोद में पलता है,  

स्मार्टफोन में बचपन चलता है।  

बचपन की किलकारियाँ खो गईं,  

खेल के मैदान भी सो गईं।  


कभी किताबों में खोया रहता था,  

अब स्क्रीन से ही जुड़ा रहता है।  

नए युग का यह बालक है न्यारा,  

ज्ञान का सागर लगाता किनारा।  


सवालों का भंडार लिए बैठा,  

हर उत्तर को गूगल से है जोड़े रखता।  

चुनौतियाँ नई हैं, सपने बड़े हैं,  

आसमान छूने के इरादे खड़े हैं।  


पर मासूमियत कहीं छुप गई सी है,  

पलकों में सजी नींद बुझती सी है।  

कभी मां की कहानियाँ संजोता था,  

अब वीडियो में ही दुनिया खोजता है।  


आधुनिकता का यह अनोखा सवेरा,  

मगर बिछड़ा बचपन है कहीं घनेरा।  

कुछ पल ठहरकर मुस्कान लुटा दो,  

बचपन को फिर से रंगीन बना दो।  


आधुनिक बालक, तुम हो भविष्य के तारे,  

संस्कार और खेल के दीप जलाए प्यारे।  

तकनीक के संग जीवन को साधो,  

मगर बचपन का वो रस भी कभी न बाँधो।