हर्षिता राव

एक भारत-श्रेष्ठ भारत 

उत्तर में गिरिराज विराजे,

दक्षिण में सागर लहराए।


पूरब में ब्रह्मपुत्र बहे,

पश्चिम में सिंधु  सहलाए।


जहां हर बाला देवी की प्रतिमा,

और बालक में राम है।


भूमि महापुरुषों की यह,

उनकी तप गाथाएं महान है।


सर्वधर्म समभाव का नारा,

इसकी अमिट पहचान है।


एक सूत्र में बंधा हमेशा,

यह इसका अभिमान है।


सर्वे भवंतु सुखिन: का,

आदर्श गान अविराम है।


अखंड सांस्कृतिक एकता ही,

आधार-स्तंभ,प्राण हैं।


दिनकर जीवन राग सुनाता,

लोरी गाती हर शाम है।


मस्जिद,गुरुद्वारे,चर्च यहां,

परमेश्वर का यह धाम है।


कोटि-कोटि है नमन,

यह भव्यता का गान है।


करे भारती की अर्चना,

यह श्रेष्ठता की खान है।


अतुल्य भारत,विश्व गुरु,

इसके सुंदर उपनाम हैं।


एक भारत-श्रेष्ठ भारत,

बन गया वरदान है।